हिंदी कहानियां - भाग 67
एक बार बादशाह ने बीरबल को ड़राने के लिए अपना बेहद ख़तरनाक रूप बनाया और सुनसान ज़गह में बीरबल के सामने अचानक ही आ गए।
बीरबल ने उनकी ख़तरनाक पोषाक और उनका हुलिया देखकर जिसमें कहीं सिर और सिर्फ़ 2 हाथ देखकर पहले तो खुश होकर उन्हे बैठाया, फिर कुछ इस तरह मुंह लटका कर बैठ गए जैसे गहरी सोच में डूबे हुए हो।
जब बादशाह अकबर ने बीरबल को इस तरह बैठे देखा तो उन्हे बेहद हैरानी हुई और उन्होनें दिल में सोचा की बीरबल को तो ड़रना चाहिए पर वो ड़रने की बज़ाए हैरान हो रहा था।
अब हारकर बादशाह ने उनसे उनके खुश होने और बाद में हैरान होने की वज़ह पूछी।
इस पर बीरबल ने नरम लहज़े में ज़वाब दिया, “आपको देखकर मैं बेहद खुश हुआ लेकिन आपको बहरूपिए के रूप में देखकर हैरानी हुई की आपको आखिर किसके ड़र से यह हुलिया बनाने की ज़रूरत पड़ गई।”
बादशाह बीरबल का जवाब सुनकर बेहद शर्मिंदा हुए और इस राज़ को राज़ ही बनाए रखने के लिए कहा।